हरिद्वार। धर्मनगरी में दस्तावेजों का फर्जीवाड़ा केवल बांग्लादेशी महिला का आधार व पैन कार्ड बनने तक ही सीमित नहीं है। औद्योगिक क्षेत्र सिडकुल के इर्द-गिर्द आधार कार्ड से लेकर राशन कार्ड, मार्कशीट व जन्म प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेजों का फर्जीवाड़ा भी धड़ल्ले से किया जा रहा है।
दूसरे राज्य के श्रमिकों को स्थानीय दिखाने और अपने फायदे के लिए नाबालिग को बालिग व बालिग को नाबालिग दर्शाने के लिए ये फर्जीवाड़ा जमकर हो रहा है।
नाबालिग से दुष्कर्म, अपहरण जैसे कई मुकदमों की पड़ताल में यह फर्जीवाड़ा पकड़ में भी आ चुका है। लेकिन उनकी चुनिंदा मामलों में ही कार्रवाई हुई। फर्जीवाड़े को लेकर कोई अभियान नहीं छेड़ा गया। नतीजतन, गोरखधंधा चालू है।
इस पर्दाफाश के बाद हर किसी के मन में यही सवाल उठ रहा है कि आमजन को आधार कार्ड, पैन कार्ड बनवाने व संशोधन कराने के लिए ऐड़ियां घिसनी पड़ती हैं, फिर बांग्लादेशी महिला व उसके बेटे के नाम पर ये दस्तावेज कैसे बन गए।
इसके पीछे गिरोह की आशंका देखते हुए पुलिस बारीकी से पड़ताल कर रही है। लेकिन पिछले कुछ समय में पुलिस के सामने मुकदमों की तफ्तीश के दौरान ऐसे कई फर्जीवाड़े उजागर हुए, जिनसे यह साफ पता चलता है कि फर्जीवाड़ा सिर्फ आधार कार्ड तक सीमित नहीं है।
औद्योगिक क्षेत्र सिडकुल के आस-पास कई कंप्यूटर सेंटरों पर आधार कार्ड, पहचान पत्र, मार्कशीट, राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों का फर्जीवड़ा भी चल रहा है। फैक्ट्रियों में रिज्यूम के साथ अमूमन दस्तावेजों की प्रतिलिपि ही मांगी जाती है।
देखने में आ रहा है कि कंप्यूटर से काट-छांट करते हुए दस्तावेजों में नाम, पते और उम्र बदली जा रही है। इसकी प्रतिलिपि कर्मचारी फैक्ट्री में जमा करते हैं।
हाल के दिनों में नाबालिग से जुड़े मुकदमों में स्वजनों की ओर से पुलिस को सौंपे गए दस्तावेजों की पड़ताल में फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। पुलिस ने सेंटर संचालक पर कार्रवाई भी की है। मगर फर्जीवाड़े को गंभीरता से लेते हुए अभियान चलाकर कार्रवाई नहीं की गई।
फैक्ट्रियों में 90 फीसद कर्मचारी दूसरे राज्यों से
सिडकुल क्षेत्र की फैक्ट्रियों में 90 फीसद कर्मचारी दूसरे राज्यों से हैं। फैक्ट्रियों में ठेका प्रथा बदस्तूर जारी है। इसके बावजूद, नौकरियों के लिए मारा-मारी रहती है। कई फैक्ट्रियों के बाहर युवाओं की लंबी-लंबी कतारें नजर आती हैं।
सिडकुल की फैक्ट्रियों और निर्माण स्थलों पर काम कर रहे अधिकांश श्रमिक दूसरे राज्यों से हैं। इनमें से कई लोग यहां का स्थायी निवासी दिखने के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेते हैं।
खासकर, लोकल राशन कार्ड की फोटोकापी जमा कर संविदा पर नौकरी हासिल की जाती है। कंपनियों की ओर से भी इन दस्तावेजों की बारीकी से जांच नहीं की जाती, जिससे फर्जीवाड़े को बढ़ावा मिल रहा है।
दस्तावेजों के साथ की जाती है छेड़छाड़
कई मामलों में नाबालिग को बालिग दिखाकर नौकरी तक दिला दी जाती है। इसके लिए आधार कार्ड, स्कूल प्रमाणपत्र और जन्मतिथि वाले दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ की जाती है। फर्जी दस्तावेजों का यह खेल सिर्फ पहचान तक सीमित नहीं, बल्कि सरकारी सुविधाओं और योजनाओं में भी सेंध लगा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, सिडकुल क्षेत्र और उसके आस-पास दलालों का पूरा नेटवर्क सक्रिय है, जो कुछ रुपयों के बदले आधार कार्ड, राशन कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, यहां तक कि स्कूल की मार्कशीट तक बना देता है। प्रशासन की ओर से अब तक इस गोरखधंधे पर कोई विशेष अभियान चलाया गया।
क्या कहते हैं अधिकारी
बांग्लादेशी महिला व उसके बेटे का आधार कार्ड बनने के मामले को पूरी गंभीरता से लिया जा रहा है। उनका आधार कार्ड कब, कहां और कैसे बना, इसकी कड़ियां खंगाली जा रही हैं। इसके अलावा हरिद्वार में जहां इस प्रकार के दस्तावेजों का धंधा हो रहा है, उसका पता लगाया जा रहा है।